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येशु मसीह का दूसरा आगमन

Updated: Oct 11, 2020


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प्रस्तावना

इस वास्तविकता को प्रकट करने के लिए तीन यूनानी शब्दों का प्रयोग किया गया है। (1) पारूसिया (2) अपोकलिप्सिस (3) एपिफानिया

ये शब्द सूचित करते हैं कि एक ऐसा समय होगा जब कि येशु मसीह सार्वजनिक रूप सें, स्वयं का संसार पर व्यक्तिगत प्रकाशन करने के लिए वापिस लौटेगा।

उद्धारकर्ता का प्रथम आगमन दीनता पूर्वक था परन्तु दूसरा आगमन यशस्वी होगा।

मसीह येशु स्वर्ग में स्वीकार कर लिए गए तथा एक बादल ने उन्हें उनकी दृष्टि से ओझल कर दिया। ...एकाएक सफेद वस्त्रों में दो व्यक्ति शिष्यों के पास प्रकट होकर कहने लगे, "गलीली पुरुषों, आकाश की ओर ऐसे क्यों ताक रहे हो? यह येशु, जो देखते-देखते तुम्हारे मध्य से स्वर्ग में स्वीकार कर लिए गए हैं, ठीक इसी प्रकार दोबारा आएंगे, जिस प्रकार तुमने उन्हें स्वर्ग में स्वीकार होते हुए देखा है."

येशु के दूसरे आगमन की भविष्यद्वाणिया - उसके प्रथम आगमन की भविष्यद्वाणिया की गई थीं और वे अक्षरशः पूर्ण हुई। इससे हमें पूर्ण आश्वासन मिलता है कि उसके दूसरे आगमन की भविष्यद्वाणिया भी अक्षरशः पूरी होंगी और वे प्रतीकात्मक या आत्मिक भाव से पूरी नहीं होंगी। नबी दानियेल 7.13 ने स्वप्न देखा,

"और देखो, मनुष्य के सन्तान सा कोई आकाश के बादलों समेत आ रहा था।"

नबी येशु ने स्वयं कहा,

"जब मनुष्य का पुत्र अपनी महिमा में आएगा, और सब स्वर्गदूत उसके साथ आएंगे, तो वह अपनी महिमा के सिंहासन पर विराजमान होगा।"

येशु मसीह के आगमन का अभिप्राय -

  • मसीह येशु अनेकों के पापों के उठाने के लिए एक ही बार स्वयं को भेंट करने के बाद अब दोबारा प्रकट होंगे - पाप के उठाने के लिए नहीं परन्तु उनकी छुड़ौती के लिए जो उनके इंतज़ार में है.

  • वह अपने पवित्र लोगों में महिमा पाने, और सब विश्वास करनेवालों में आश्चर्य का कारण होने को आएगा.

  • वह अन्धकार की छिपी बातें ज्योति में दिखाने आएगा.

  • राज्य करने के लिए.

  • न्याय करने.

  • ताकि हम उसके संग रहें.

  • मृत्यु को नष्ट करने के लिए.


येशु के आगमन के चिन्ह

मसीह 24: 5-7 और 12-38 में दस चिन्ह दिए गए हैं

  1. झूठे मसीह.

  2. लड़ाइयाँ और लड़ाइयों की चर्चा

  3. अकाल

  4. महामारियां

  5. भुईडोल

  6. अधर्म का बहुत बढ़ जाना

  7. प्रेम ठण्डा पड़ जाना

  8. खाना पीना

  9. व्यवसाय में व्यस्थ रहना

  10. विवाह करना


येशु के आगमन का समय

येशु ने कहा, "उस दिन और उस घड़ी के विषय में कोई नहीं जानता, न स्वर्ग के दूत, और न पुत्र, परन्तु केवल पिता।"


सारांश

इस सिद्धान्त का हमारे जीवन पर अवश्य प्रभाव पड़ना चाहिए। इससे हमें सतर्क और चौकस रहने की प्रेरणा प्राप्त होनी चाहिए। हंसी-ठट्ठा करने वाले न बनिए, क्योंकि उसका आगमन निश्चित है।




 
 
 

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