परमेश्वर का मौन
- Jeffrey D'souza
- Apr 2, 2020
- 2 min read
Updated: Oct 11, 2020
कठिनाई के समय मनुष्य प्रश्न करता है, "यदि एक प्रेमी-परमेश्वर है, तो वह मौन क्यों है?" या "उसने ऐसा क्यों होने दिया?" या "उसने इसको क्यों नहीं रोका?"
"वह विनाशकारी विस्फोटों, दुर्घटनाओं, तुफानों, बाढ़ों और युद्धों को क्यों नहीं रोकता?"
एक परमेश्वर विरोधी मनुष्य, जिसका परमेश्वर के अस्तित्व में तनिक भी विश्वास नहीं होता, परमेश्वर के इस मौन के कारण वाद-विवाद करता है।
मनुष्यों ने इस शताब्दियों-पुरानी समस्या के कई सम्भावित हल खोज निकाले हैं -
परमेश्वर एक अच्छा परमेश्वर है परन्तु उसके पास जीवन की सभी छोटी बड़ी बातों पर ध्यान देने के लिए समय नहीं है। परमेश्वर जीवन के सभी कार्यों को मात्र एक दर्शक की तरह देखता रहता है।
मौन सिद्ध करता है कि परमेश्वर मात्र एक कल्पना है।
संसार किसी व्यक्तिगत परमेश्वर के बिना, नियमों से संचालित होता है।
परमेश्वर और बाइबिल को अस्वीकार करने पर मानव जाति और भी गहरे अन्धकार में डूब जाती है।

निम्नलिखित दिए गए बिन्दुओं पर विचार करो -
बहुत सी परेशानियां तो जान बूझकर किए गए पाप का परिणाम होती हैं, जो पूर्णतः मनुष्य की लापरवाही, उपेक्षा और मूर्खता के कारण होती हैं।
क्या यह ठीक है कि मेरा छोटा सा मस्तिष्क सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्यों पर कोई आपत्ति करे?
मनुष्य की स्वतन्त्र इच्छा में उसके कार्यों के परिणाम भी सम्मिलित हैं।
परमेश्वर एक ईष्र्यालु प्रेमी है।
एक न्याय का दिन आ रहा है, जिस दिन परमेश्वर का मौन पाप के कारण दण्डाज्ञा की घोषणा के साथ टूटेगा। तब परमेश्वर मनुष्य से अपने और समाज के साथ उसके सम्बन्धों का लेखा लेगा।
प्रभु मुझे धैर्यपूर्वक प्रतीक्षा करना सिखाता है।
हो सकता है कि मैं दुःख सहूं, इसलिए नहीं कि मैंने पाप किया है परन्तु इसलिए कि किसी दूसरे व्यक्ति को आशीष मिले। केवल वही लोग दूसरे व्यक्तियों को सांत्वना दे सकते है जो स्वयं दुःखों में से होकर निकले हैं।
पूर्व में परमेश्वर ने भविष्यद्वक्ताओं के माध्यम से हमारे पूर्वजों से अनेक समय खण्डों में विभिन्न प्रकार से बातें की किन्तु अब इस अन्तिम समय में उन्होंने हमसे अपने पुत्र के द्वारा बातें की हैं, जिन्हें परमेश्वर ने सारी सृष्टि का वारिस चुना और जिनके द्वारा उन्होंने युगों की सृष्टि की।
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