जयवंत या विजयी मसीही जीवन
- Jeffrey D'souza
- Oct 6, 2020
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Updated: Oct 11, 2020
हृदय परिवर्तन के बाद मेरी हार्दिक पुकार पवित्रता के लिए थी, मैं मसीह की समानता में बढ़ना चाहता था, पाप पर जयवंत होकर सांसारिक स्तर से ऊपर स्तर का जीवन व्यतीत करना चाहता था। कुछ मसीही बार-बार प्रयत्न करते हैं और जब सफल नहीं हो पाते तो नीचे धंसकर मसीही अनुभव के एक निम्न स्तर पर आ जाते हैं। वे न चाहते हुए भी एक निम्न स्तर का मसीही जीवन व्यतीत करते हैं। वे आगे बढ़ने में अपने को असहाय और भयग्रस्त पाते हैं, उनको यह भय होता है कि कहीं प्रयास करने में वे अपने को मूर्ख तो नहीं बना रहे हैं। दूसरे अन्य मसीही विजयी जीवन का नाम भी नहीं जानते और वे निरंतर पाप करते और पश्चाताप करते पाप करते और पश्चाताप करते रहते हैं। क्या मसीह के पास हमें देने के लिए बस यही है ॽ
प्रत्येक विश्वासी के लिए महिमामय विजय है। क्योंकि जो कुछ परमेश्वर से उत्पन्न हुआ है वह संसार पर जय प्राप्त करता है और वह विजय जिससे संसार पर जय प्राप्त होती है हमारा विश्वास है । यूहन्ना स्वर्ग में विजय की बात नहीं कर रहा है परंतु पृथ्वी पर विजय की बात कर रहा है प्रतिदिन की विजय ।
विजयी जीवन की प्रतिज्ञाएं
यीशु ने कहा, मैं इसलिए आया कि वे जीवन पाए और बहुतायत से पाए और तुम्हारे हृदय में से जीवन के जल की नदियां बह निकलेंगी।
प्रेरित पौलुस ने लिखा तुम पर पाप की प्रभुता ना होगी और यह भी की परमेश्वर का धन्यवाद हो जो मसीह में सदा हमको जय के उत्सव में लिए फिरता है । सब बातों में हम उसके द्वारा जिसने हम से प्रेम किया है जयवंत से भी बढ़कर है। न केवल जय वरन अधिकाई से अपने शत्रुओं पर भरपूर विजय।
विजयी जीवन कैसा प्राप्त होता है ?
विजयी जीवन विश्वास द्वारा प्राप्त किया जाता है। विजय के लिए आपके अंदर कुछ क्षमताएं होनी चाहिए । विजय का रहस्य अंतर में वास करने वाले मसीह में निहित है । विजय विश्वास में निहित है प्रयास में नहीं । विजयी जीवन का रहस्य मसीह के साथ हमारे समानता में निहित है । मसीह के क्रूस में दो महत्वपूर्ण सच्चाईयों की शिक्षा दी गई है प्रतिस्थापन और समानता । पापी को हम प्रतिस्थापन की शिक्षा देते हैं और संत को समानता की । मसीह की मृत्यु में उसके साथ समानता - मैं मसीह के साथ मर गया । मृत्यु मनुष्य को सदा के लिए पाप की शक्ति और उसके प्रभुत्व से छुटकारा दिला देती है । मसीह के गाड़े जाने में उससे समानता - मैं उसके साथ गाड़ा गया । मसीह के फिर जी उठने में उसके साथ समानता मैं मसीह के साथ जी उठा मसीह के वर्तमान विजयी जीवन के साथ समानता ।
इसमें यह भेद छिपा हुआ है कि अंतर में वास करने वाला मसीह प्रत्येक विश्वासी के हृदय और जीवन में इस अभिप्राय से वास करता है कि वह उस जीवन का प्रभु और स्वामी बन जाए। यदि यह सच है कि मैं मसीह के साथ पाप के लिए मर गया हूं, तो अब केवल एक ही बात मेरे करने के लिए रह जाती है और वह है स्वयं को परमेश्वर को समर्पित कर देना। अपने अंगों को अधर्म के हथियार होने के लिए पाप को न सौंपो, पर अपने आप को मरे हुओं में से जी उठा हुआ जानकर परमेश्वर को सौंपो। अपनी नई स्थिति को विश्वास द्वारा स्वीकार कर लीजिए। पाप और संसार का आप पर अधिकार नहीं रहा । पाप से युद्ध न कीजिए । इसके स्थान पर आप एक अधिक शक्तिशाली सामर्थ के आगे समर्पण कर दीजिए । एक मसीही होने के बाद भी मेरे अंदर अपने स्वतंत्र इच्छा विद्यमान है । यदि मैं विजय को चुनता हूं तो मुझे निश्चय ही यह प्रभु की ओर से प्राप्त हो सकती है । यदि मैं विजय के इस उपहार को अस्वीकार कर देता हूं तो मैं निरंतर पराजित मसीही जीवन व्यतीत करता रहूंगा । क्या तुम नहीं जानते कि जिस की आज्ञा मानने के लिए तुम अपने आप को दासों की नाई सौंप देते हो उसी के दास हो ?
चुनाव मुझे करना है : धार्मिकता या पाप । चुनाव करने की स्वतंत्रता हमें हैं। इसलिए चुनाव यह है कि मैं स्वयं को तथा अपने अंगों को किस को समर्पित करता हूं?
आइए इस सच्चाई को हम मात्र सिद्धांत के रूप में ही याद ना रखें वरन अपने जीवन में प्रयोग करके जाने
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